कॉम्रेड पानसरे
पानसरे तुम्ही। असे काय केले।
जिवानीशी गेले। संपुनिया।।
जगावया येथे। करुनिया तर्क।
व्हावया सतर्क। शिकविले।।
सर्वहारा वर्ग। आपला तू केला।
संदेशही दिला। जगण्याचा।।
जाती-धर्मातली। तेढ संपवाया।
झिजला तू राया।आजीवन।।
कोण तो शिवाजी। कसा नि कोणाचा।
सांगून तू वाचा। फोडलीस।।
अठरापगड़। जाती-जमातीचा।
असा शिवाजीचा। इतिहास।।
अशा ज्ञानामुळे। जात्यांधाचे हित।
आल्याने गोत्यात। भांबावले।।
आणि तू गोविंदा। दीनांच्या कारणे।
केली आंदोलने। कितीतरी।।
भांडवलदार। हेही तुझ्यावर।
वाकड़ी नजर। ठेवलेले।।
ह्या ह्या वृत्तिनेच। प्रकार आखुन।
तुझे सुज्ञ प्राण। हिरावले।।
सत्य, न्याय, सख्य। ह्यासाठी घातली।
हयात सगळी। पानसरे।।
परि नाही चिंता। एका बिजातून।
हजारो उगुन। बीजे येती।।
-मनोज स. बोबडे
जिवानीशी गेले। संपुनिया।।
जगावया येथे। करुनिया तर्क।
व्हावया सतर्क। शिकविले।।
सर्वहारा वर्ग। आपला तू केला।
संदेशही दिला। जगण्याचा।।
जाती-धर्मातली। तेढ संपवाया।
झिजला तू राया।आजीवन।।
कोण तो शिवाजी। कसा नि कोणाचा।
सांगून तू वाचा। फोडलीस।।
अठरापगड़। जाती-जमातीचा।
असा शिवाजीचा। इतिहास।।
अशा ज्ञानामुळे। जात्यांधाचे हित।
आल्याने गोत्यात। भांबावले।।
आणि तू गोविंदा। दीनांच्या कारणे।
केली आंदोलने। कितीतरी।।
भांडवलदार। हेही तुझ्यावर।
वाकड़ी नजर। ठेवलेले।।
ह्या ह्या वृत्तिनेच। प्रकार आखुन।
तुझे सुज्ञ प्राण। हिरावले।।
सत्य, न्याय, सख्य। ह्यासाठी घातली।
हयात सगळी। पानसरे।।
परि नाही चिंता। एका बिजातून।
हजारो उगुन। बीजे येती।।
-मनोज स. बोबडे
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